इबादत के 3 बुनयादि अरकान है

1. अल्लाह ता'आला की कामिल मुहब्बत जैसा की अल्लाह ने इरशाद फरमाया.

और ईमान वाले अल्लाह से मुहब्बत में इंतिहाई सख़्त है.
क़ुरान : (सुरा बक़रा 2/160)

2. अल्लाह ता'आला से कामिल उम्मीद जैसा की अल्लाह ने इरशाद फरमाया.
और अहले ईमान उस की रहमत की उम्मीद रखते है.
क़ुरान : (सुरा इसरा 17/08)

3. अल्लाह ता'आला का कामिल ख़ौफ़ (डर) जैसा की अल्लाह ने इरशाद फरमाया.
और ईमान वाले उस के अज़ाब से ख़ौफ़ जदा रहते है.
क़ुरान : (सुरा इसरा 17/08)

अल्लाह ता'आला ने इन तीनो अरकान को पहली सुराह (सुरेः फातिहा) में यू जमा फरमाया.

1. सब तारीफ अल्लाह ता'आला ही के लिए है जो तमाम जाहानों का परवर्दीगार है.

पहली आयात में मुहब्बत का ज़िक्र है क्यूकी वो जाहानो को पालने वाला और जो बन्दो पर इनाम वा इकराम भी करता है और बिलाशुबह जो इनाम (रहमत्त) करे उस से मुहब्बत की जाती है.

2. बड़ा मेहरबान निहायत रहम केरने वाला है.
दूसरी आयात में उम्मीद का ज़िक्र है क्यूकी जो भी रहमत वा शफकत के साथ मुतशफ् हो उस से उम्मीद की जाती है.

3. बदले के दिन (यानी क़यामत) का मालिक है.
तीसरी आयात में ख़ौफ़ का ज़िक्र है क्यूकी जो रोज कयामत जजा वा हिसाब का मालिक है उसके अज़ाब से डरा जाता है.

इस लिए अल्लाह ता'आला ने इन तीन बातों के बाद इरशाद फरमाया के कहो.
4. हम खास तेरी ही इबादत करते है

माना ये के.

में खास तेरी ही इबादत करता हूँ
मुहब्बत की वजह से.

में खास तेरी ही इबादत करता हूँ
सिर्फ़ तुज़से उम्मीद की वजह से.

में खास तेरी ही इबादत करता हूँ
तेरे ख़ौफ़ (डर) की वजह से.


अल्लाह हमे हक़ बात समझने की तोफीक अता फरमाये अमीन
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