मय्यत पर 3 दिन से ज़्यादा शौक़ मनना जाईज नही.

हज़रत उम्मे हबीबा रज़ी. से रिवायत है अल्लाह के रसूल सल्लललाहू आलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया.
अल्लाह और आख़िरत पर जो ईमान रखने वाला है उसके लिए किसी की भी मय्यत पर 3 दिन से ज़्यादा शौक़ करना जाईज नही. और औरतों को उसके शौहर की मय्यत पर 4 महीने 10 से ज्यादा शौक़ मनना जाईज नही.
हदीस (मुख़्तसर सहीह बुखारी लिल जुबेदि : 650)

हज़रत अबू मलिक अश्अरी रज़ी. से रिवायत है. नबी करीम सल्लललाहू आलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया. फरमाया.
मेरी उम्मत के लोग जमाना जाहिलियत के 4 काम नही छोढ़ेगे.
1. अपने नसब पर तकबबूर करना.
2. दूसरो के नसब पर ताना जनि करना.
3. तारों से बारिश तलब करना.
4. मरने वालो पर मातम मना कर रोना.
और फरमाया अगर मरने से पहले तौबा ना की तो कयामत के दिन उन्हे खड़ा करके गंधक का पाइज़मा और खुजली (खारिश) का कुर्ता पहनाया जाएगा.
हदीस (मुख़्तसर सहीह मुस्लिम लिल अल्बानी : 463)
लेकिन आज अफ़सोस की बात है मुस्लमान मय्यतों पर 10, 20, 30, 40, वाँ मानते है और बरसी भी सालासाल मानते है जो की आप सललाल्लाहू आलेही वसल्लम का तरीका नही है. जो नबी का तरीका नही उस पर सवाब भी नही है.

अल्लाह हमे हक़ बात समझने की तोफीक अता फरमाये अमीन......
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