अल्लाह के हुक्म के बगैर कोई नही मर सकता

अल्लाह फरमाता है अपनी आखरी किताब क़ुरान में.

बगैर अल्लाह ता'आला के हुक़्म के कोई जानदार नही मर सकता उसका वक़्ते मुकर्र लिखा हुआ है,
दुनिया की चाहत वालों को हम कुछ दुनिया दे देते है और आख़िरत का सवाब चाहने वालो को हम वो भी देंगे,
और अहसान मानने वालो को हम बहुत जल्द नेक बदला देंगे.

क़ुरान (सुरा इमरान3/145)

यानी ये कमज़ोरी और बुझदिली का मज़ाहिर करने वालो के होसले में इज़ाफ़ा करने के लिए कहा जा रहा है के मौत तो अपने वक़्त पर आकर रहेगी फिर भागने या बुजदिली दिखाने का क्या फायदा,
इस तरह दुनिया तलब करने से कुछ दुनिया तो मिल जाती है लेकिन आख़िरत में कुछ नही मिलेगा,
इसके बरक्स आख़िरत के तालिबो को आख़िरत में नेअमते तो मिलेगी ही दुनिया भी अल्लाह ता'आला आता फरमाएगा.


आज काफ़िर हम पर कितना ही ज़ुल्म करे मुसीबत और तकलीफ़ हो सकती है लेकिन हम बुजदिली ना देखाए,
क्यूकी मौत बगैर अल्लाह की मर्ज़ी के नही दे सकते तकदीर पर पक्का यकीन रखो हर मुस्लमान अपनी-अपनी ताक़त के हिसाब से उनके ज़ुल्म का मुकाबला करे,
हर मुसलमान तन्हा अपने पास मोजूद जराये से जवाब दे अगर एक हो जाऐ तो सोने पे सुहागा,
इंशा अल्लाह एक दिन हर मुसलमान एक होगा

अल्लाह हमे हक़ बात समझने की तोफीक अता फरमाये अमीन
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