फरयाद (सिर्फ़ अल्लाह ही से माँगी जाये)

ये  हर मुसलमान का ईमान है  अल्लाह ता'आला ही हमारे दिल की बातो को जनता  है.
वही चिटी  से लेकर हाथी और परिंदों  से लेकर मछलियों  की सुनता है और उन्हें भी रिज्क़ (पेट भर खाना )  देता है.
अल्लाह क़ुरान में फरमाता है.
जब तुम अपने रब से फरयाद कर रहे थे तो उस ने तुम्हारी फरयाद सुन ली.
क़ुरान (अनफाल 8/9)

बेकस की पुकार को जब वो पुकारे कोन काबुल कर के सख्ती को दूर कर देता है ?
क्या अल्लाह ता'आला के साथ और माबूद है ?
तुम बहुत कम नसीहत व ईब्ररत हासिल करते हो.

क़ुरान (नमल 27/62)

अल्लाह के रसूल सल्ललाहू आलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया.

ए जिंदा व जावेद ! ए कायम रहने वाले तेरी रहमत के ज़रिये में फरयाद करता हूँ के मेरे काम दुरुस्त फरमा दे और पलक छपकने के बराबर भी मेरी नफ्स के सुप्रुद ना करना.
हदीस (सहीह अल जामे : 5820)

अल्लाह का सिफाति  नाम " अस समीअ " (फरयाद सुनने वाला) अल्लाह ही है जो हर जानदार की फरयाद को सुनकर पूरा  करता है.
हम नमाज़ मे भी रुकु से उठते वक़्त कहते है " समी' अल्लाह लीमन हमीदा " (अल्लाह ने उसकी सुन ली जिसने उसकी तारीफ की) " रबबना लकल हम्द " (ए हमारे रब तेरे ही वास्ते सारी तारीफ है) जब भी फरयाद मांगी  जाए सिर्फ  अल्लाह ही से मांगी  जाए वही सुनने और जानने वाला है.


अल्लाह हमे हक़ बात समझने की तोफीक अता फरमाये अमीन......
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