मय्यत को इसाले सवाब पहुचाना

हज़रत अबू हुरैरा रज़ी. से रिवायत है.
अल्लाह के रसूल सललाल्लाहू आलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया
मरने के बाद इंसान के आमालो का मामला ख़त्म हो जाता है,
लेकिन 3 चीज़ो का सवाब मय्यत को पहुचता रहता है,
1. सदका ज़रिया
2. लोगो को फायदा देने वाला इल्म
3. नेक औलाद जो मय्यत के लिए दुआ करे
 

हदीस (सहीह मुस्लिम : 1730 )

मोमिन के मरने के बाद जिन आमालो की नेकियो का सवाब उसे मिलता रहता है,
इल्म जो उसने जिंदगी में लोगो को सिखाया और फैलाया,
नेक औलाद जो उसने पीछे छोड़ी उसके लिए दुआ करे,
इस्लाम, क़ुरान, दिन का इल्म जो लोगो को उसने सिखाया,
मस्जिद और मुसाफिर खानो मे अपनी जिंदगी मे सदका (माल) लगाया,
इन सब अमालो का सवाब इंसान को मरने के बाद भी मिलता रहता है

हदीस (सहीह इब्ने माज़ा : 198)

इसके अलावा मय्यत के नाम से सदका करना, रोज़े बाकी हो तो रखना,हज का इरादा था तो करना.
और नेक औलाद के अच्छे अमल सवाब की नियत किए बिना भी उसके मा बाप को पहुचते रहते है.
मय्यत के लिए सबसे बेहतरीन तोहफा उसके लिए इस्तग्फार किया जाए.
अल्लाह हमे हक़ बात समझने की तोफीक अता फरमाये आमिन
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