नबी करीम सललाल्लाहू आलेही वासल्लम के मोज़ीज़ात (चमत्कार)

हज़रत जाबिर बिन समुरा रज़ी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है.
नबी करीम सललाल्लाहू आलेही वासल्लम ने फरमाया.

में मक्का के उस पत्थर को जानता हूँ जो मुझे नबुवत से पहले सलाम किया करता था में अब भी उसे पहचानता हू.

हज़रत अबू मूसा रज़ी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है.
जब आप बचपन ही में शाम के सफ़र पर अपने चचा के साथ गये थे आप का काफिला बशरा नामी जगह पर रुका तो एक राहिब ने बताया के सारे पेड़ और पत्थर आपके एहतराम में झुक गये.
राहिब जब खाना ले कर आया आप को बुलाया तो एक बदल आप के उपर साया किए था जब आप खाना खाने एक पेड़ के नीचे बैठे तो पेड़ का साया आप के लिए झुक गया राहिब ने लोगो से कहा देखो साया इस बच्चे के लिए झुक गया.
राहिब ने आप का हाथ पकड़ लिया और कहा ये सय्य्दुल लिल आलमीन है, ये रब्बुल आलमीन के रसूल है,
अल्लाह ता'आला इन्हे रहमतुल लिल आलमीन बनाकर भेजेगा.

(तिर्मीज़ी : 3/2862)

हालाँकि आपको उस वक़्त नबुवत का इल्म नही था लेकिन अल्लाह के यहा आपकी नबुवत उस समय ते हो चुकी थी जब आदम अलैहिसलाम पानी और मिट्टी के मरहाले में थे रूह फूँकी जा चुकी थी लेकिन बदन में हरकत नही थी
आप का खतिमुन्ननबीय्यन होना भी तब ही ते हो चुका था

(मिशकतुल मसबीह : 5759)

अल्लाह हमे हक़ बात समझने की तोफीक अता फरमाये
अमीन......
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