मदद (सिर्फ़ अल्लाह ही से तलब की जाए)

हर मुस्लमान ये मानता है अल्लाह की मदद के बिना इंसान कोई भी चीज़ नही पा सकता,
हर मुस्लमान ये मानता है अल्लाह मर्ज़ी के बिना कोई एक सांस भी नही ले सकता,
तो जो भी मुश्किल आए मदद सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह ही से माँगी जाए.


क़ुरान में अल्लाह फरमाता है 
हम खास तेरी ही इबादत करते है और खास तुझ से ही मदद माँगते है.
क़ुरान (सुरा फातिहा  1/4)

अल्लाह के सिवा ना तुम्हारा कोई मददगार है ना कोई सुनने वाला फिर भी क्या तुम होश में ना आओगे.
क़ुरान (सुरा सज़्दा 32/4)

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु आलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया.
हज़रत इब्ने अब्बास रज़ी. को वसीयत फारमाइ के जब तू सवाल करना चाहे तो अल्लाह ता'आला से ही सवाल कर और जब तू मदद माँगना चाहे तो अल्लाह ता'आला से ही मदद माँग.
हदीस (सहीह तिर्मीज़ी : 2016)

अल्लाह के अलावा हमारी कोई मदद नही कर सकता 
ये अल्लाह का सिफ़ाती नाम है (अल वली) मददगार उसकी सिफ़त में किसी को शरीक करना शिर्क है और ये ज़मीन और आसमान सारी कायनात में सबसे बड़ा गुनाह है.
ये अल्लाह का सिफ़ाती नाम है (अज ज़ार) नुकसान पहुचाने वाला और वो किसी को नुकसान पहुचाना चाहे तो वो हर चीज़ पर कुदरत रखता है.

अल्लाह हमे हक़ बात समझने की तोफीक अता फरमाये अमीन......
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post