अल्लाह ता'आला की मुहब्बत तमाम मुहब्बतों पर ग़ालिब होनी चाहिए.

अल्लाह ता'आला क़ुरान में फरमाता है
बाज़ लोग ऐसे भी है जो के दूसरों को अल्लाह का शरीक बनाकर उनसे ऐसी मुहब्बत रखते है जैसी अल्लाह से से होनी चाहिए, और ईमान वाले अल्लाह की मुहब्बत में बहुत सख़्त होते है.
क़ुरान (सुरा बक़रा 2/165)

और जब सिर्फ़ अल्लाह का ज़िक्र किया जाता है तो जो लोग आख़िरत पर यकीन नही रखते उन के दिल सुकड जाते है (ज़िक्र करने वालो से नफ़रत करने लगते है) और जब दूसरों का ज़िक्र किया जाता है तो खुश हो जाते है
क़ुरान (सुरा झूमर 39/45)

अल्लाह के रसूल सललाल्लाहू आलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया
जिस शख्स में 3 खस्लते होगी वो ईमान की मिठास महसूस करेगा
1. अल्लाह और रसूल उसे बाकी लोगो से ज़्यादा महबूब हो.
2. वो किसी भी इंसान से सिर्फ़ अल्लाह ही के लिए मुहब्बत करता हो.
3. उसे कुफ्र (जिससे अल्लाह ने उसे बचा लिया) की तरफ लोटना ऐसा लगे जैसे आग में फेका जाना.

हदीस (सहीह बुखारी : 16 / मुस्लिम : 43)

ये बीमारी सिर्फ़ मुश्.रीकीन में नही थी आज भी मोजूद है जो खुद साखता लोगो को अपना किब्ला बना लेते है उन्हे सब कुछ समझते है और उनसे अल्लाह से भी ज़्यादा मुहब्बत रखते है और जब इन्हे अल्लाह की और क़ुरान की बात सुनाई जाती है तो नाराज़ हो जाते है.

अल्लाह हमे हक़ बात समझने की तोफीक अता फरमाये अमीन......
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post