ईमान के अरकान।
1) ALLAH PAR IMAAN.
2) FARISHTON PAR IMAAN.
3) AASMANI KIATABON PAR IMAAN.
4) NABIYON PAR IMAAN.
5) AKHIRAT KE DIN PAR IMAAN.
6) ACHCHI BURI TAKDEER PAR IMAAN.
IRSHADE BAARI TA'ALA HAI.
لَيْسَ الْبِرَّ اَنْ تُوَلُّوْا وُجُوْھَكُمْ قِـبَلَ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَلٰكِنَّ الْبِرَّ مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَالْمَلٰۗىِٕكَةِ وَالْكِتٰبِ وَالنَّبِيّٖنَ
Sari achchai mashrik (East) magrib (West) ki taraf munh karne men hi nahi balki hakikat men achcha wo hai jo ALLAH par, Kayamat ke din par, Farishton par, kitab ALLAH par aur Ambiyao par imaan rakhne wala ho.
QURAN (Surah Bakra 2/177)
ईमान के 6 अरकान है इन मे से एक अरकान भी साकित (छूट) हो जाए तो इंसान मोमिन नही रहता चाहे वो लाख ईमान की दुआए करता रहे जैसे एक इमारत अपने तमाम सुतुनो (Pillar) पर ही कायम रह सकती है इसी तरह ईमान भी अपने तमाम अरकान के ज़रिये ही मुकम्मल हो सकता है.
1) अल्लाह पर ईमान.
2) फरिश्तों पर ईमान.
3) आसमानी किताबों पर ईमान.
4) नबीयों पर ईमान.
5) आख़िरत के दिन पर ईमान.
6) अच्छी बुरी तकदीर पर ईमान.
इरशादे बारी त'आला है.
सारी अच्छाई मशरीक (East) मगरिब (West) की तरफ मुँह करने में ही नही बल्कि हक़ीकत में अच्छा वो है जो अल्लाह पर, कयामत के दिन पर, फरिश्तों पर, किताब अल्लाह पर और अंबियाओ पर ईमान रखने वाला हो.क़ुरान (सुराह बकरा 2/177)
ALLAH HAME HAQ BAAT SAMJHNE KI AUR SAHI AMAL KARNE KI TOFFIK ATA FARMAYE. {AAMIN}